
कृतज्ञता
कृतज्ञता क्या है (Kritagyata meaning in hindi) एवं जीवन में कृतज्ञता का क्या महत्व है ? दोस्तों यदि हम महान व्यक्तियों के बारे में पढ़ेंगे तो जानेगे कि वे सभी लोग जीवन में मिलने वाली हर वस्तु या सफलता के प्रति कृतज्ञ रहे है। कृतज्ञ व्यक्ति को कभी भी अभिमान छू भी नहीं सकता है।
श्रीराम भक्त हनुमान जी – Kritagyata meaning in hindi
रामायण में प्रसंग है कि माता सीता को खोजने के लिए भगवान श्रीराम के द्वारा वानर सेना के दल भेजे गए थे। एक दल में श्रीराम भक्त हनुमान जी, जामवंत जी, नल-नील के साथ अन्य वानर भी थे। यह दल बाली पुत्र अंगद के नेतृत्व में गया था । बहुत खोजने के बाद वे एक दिन थक कर समुद्र किनारे निराश बैठे थे।
उन्हें पता चलता कि सीता माता का हरण करके रावण समुद्र पार ले गया है। दल के सभी सदस्य समुद्र लांघने में असमर्थ रहते है। जामवंत जी के कारण हनुमान जी को उनकी शक्तियाँ स्मरण होती है। हनुमान जी अकेले ही समुद्र लाँघकर सीता माता का पता लगाते है। इतना ही नहीं रावण की लंका जलाकर लौट आते है।
जब वे भगवान श्रीराम को सीता माता के समाचार सुनाते है तो कहते है कि हे प्रभु हमारे दल ने आपके द्वारा दिया गया कार्य सफलता पूर्वक कर लिया है। यहाँ वे यह नहीं कहते कि उन्होंने अकेले ही रावण की लंका जला दी है और सीता माता का पता लगा लिया है। श्री हनुमान जी अभिमान रहित होकर और कृतज्ञता के साथ पुरे दल को इसका श्रेय देते है। यह प्रकरण हमें सिखाता है कि किसी भी सफलता का श्रेय व्यक्तिगत नहीं अपितु सामूहिक होता है।
पारिवारिक कृतज्ञता – Kritagyata meaning in hindi
सबसे पहले हमें अपने माता-पिता के प्रति कृतज्ञ होना चाहिए। माता-पिता ने हमें जीवन दिया और हमें जीना सिखाया है। हम माता-पिता का कर्ज कभी भी उतार नहीं सकते है। संसार में माता-पिता का स्वरुप साक्षात ईश्वर का होता है। वे हमारे भौतिक शरीर ही नहीं वरन हमारे सम्पूर्ण अस्तित्व का निर्माण करते है।
भाई-बहिन परिवार में दोस्त की भूमिका निभाते है, जिनके साथ हम पलते व बढ़ते है। भाई-बहिन का प्रेम किसी भी लालच या मतलब के लिए नहीं होता है। यदि बड़ा भाई छोटे भाई के लिए कुछ करता है तो वह यह सोचकर नहीं करता है कि मुझे इसके बदले में कुछ चाहिए।
छोटा भाई इसलिए बड़े भाई के साथ नहीं रहता क्योंकि उसकी सब इच्छाएँ पूरी हो जाती है। भाई के साथ भाई तो इसलिए होता है क्योंकि वे भाई-भाई है। जहाँ रिश्ते में लेने-देने की बात आ जाती है तो रिश्ता नहीं व्यापार बन जाता है। लेन – देन में देने वाला अहसान करता है और लेने वाला अहसानमंद होता है। भाई – बहिन दुःख का समय साथ – साथ गुजारते है और सुख के समय में भी साथ ही रहते है। हमें पुरे परिवार के प्रति कृतज्ञ रहना चाहिए। क्योंकि हम आज जो भी है हमारे परिवार के कारण ही है।
सामाजिक कृतज्ञता – Kritagyata meaning in hindi
समाज के प्रति कृतज्ञता से आशय उन लोगो का धन्यवाद देना जिन्होंने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से हमारा सहयोग किया है। इस दुनिया में कोई भी व्यक्ति अकेला कोई मुकाम हासिल नहीं कर पाता है। प्रत्येक सफल व्यक्ति के पीछे कई लोगो का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष सहयोग रहता है। किसी भी व्यक्ति को अपनी सफलता के लिए सीढ़ी नहीं मानना चाहिए। सफलता रूपी ऊँची मीनार में प्रत्येक व्यक्ति या वस्तु एक – एक ईंट के समान है।
किसी भी उद्योगपति को कभी भी यह नहीं समझाना चाहिए कि सफलता केवल उसकी अकेले की है। कोई भी बड़ा उद्योग एकाएक ही बड़ा नहीं होता है। उद्योग को बड़ा एवं सफल बनाने में उद्योगपति और कामगार दोनों का ही बराबर योगदान होता है। उद्योगपति के पास दिमाग और धन है तो दूसरी और कामगार के पास समर्पण और मेहनत है। इसलिए कृतज्ञता (Kritagyata meaning in hindi) का भाव सभी के लिए होना चाहिए।
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